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चुनाव के नतीजे बताएंगे कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा कितनी सफल -रशीद किदवई

मशहूर पत्रकार एवं प्रख्यात लेखक रशीद किदवई और रिद्धिमा जोशी

उदयपुर. मशहूर पत्रकार एवं प्रख्यात लेखक रशीद किदवई ने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सफल होगी या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी कैसा प्रदर्शन करती है? सोशल मीडिया भ्रम पैदा करता है। अब भी व्यापक जनसंपर्क के लिए पुराने तरीके अपनाए जा रहे हैं, जैसे नेताओं द्वारा यात्राएं करना। किदवई बुधवार को होटल रेडिशन ब्लू में प्रभा खेतान के अहसास वुमन उदयपुर के बैनर तले साहित्यिक कार्यक्रम ‘कलम’ में रिद्धिमा जोशी से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा और प्रशांत किशोर की बिहार में यात्रा के उदाहरण लिए जा सकते हैं। मशहूर पत्रकार एवं प्रख्यात लेखक रशीद किदवई ने बताया कि इंदिरा गांधी के आपातकाल लगाने से उनकी तानाशाह वाली छवि बनी लेकिन इंदिरा गांधी का एक सॉफ्ट एवं संवेदनशील चेहरा भी था। उन्होंने एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि इंदिरा गांधी कहीं भी जाती थी तो अपने स्टाफ के लिए खाने के प्रबंध के बारे में पहले चिंता करती थी। राशिद किदवई ने सोनिया गांधी की आत्मकथा लिखी है। उन्होंने बताया कि इस आत्मकथा के लेखन के लिए वे कैंब्रिज तक गए। सोनिया गांधी एवं राजीव गांधी की मुलाकात कैंब्रिज के एक रेस्टोरेंट में हुई थी। एक अखबार में 1965 में इंदिरा गांधी के साथ राजीव गांधी की फोटो छपने तक सोनिया गांधी को यह मालूम नहीं था कि राजीव गांधी प्रधानमंत्री के पुत्र हैं। अपनी पुस्तक भारत के प्रधानमंत्री के बारे में बात करते हुए राशिद किदवई ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्रियों के कार्यकालों की तुलना नहीं की जा सकती। सभी प्रधानमंत्रियों के सामने परिस्थितियां अलग अलग रही। कुछ प्रधानमंत्रियों को लंबे समय तक शासन करने का मौका मिला वहीं कुछ प्रधानमंत्रियों का शासनकाल काफी छोटा रहा। उन्होंने कहा कि जिन प्रधानमंत्रियों का छोटा कार्यकाल रहा उन्होंने भी बेहतर काम करने की कोशिश की। शास्त्री जी के आह्वान पर लोगों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था। सभी प्रधानमंत्रियों की मंशा साफ थी। यह कहना गलत होगा कि भारत के किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा कुछ किया जिसे राष्ट्रहित में नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने चुनावों में तकनीक के प्रयोग के बारे में बताया कि चुनावों में सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ा है वहीं फेसबुक जैसी कंपनियों पर विश्व भर में सवाल भी उठे हैं। सोशल मीडिया भ्रम पैदा करता है। अब भी व्यापक जनसंपर्क के लिए पुराने तरीके अपनाए जा रहे हैं, जैसे नेताओं द्वारा यात्राएं करना। इसमें राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा और प्रशांत किशोर की बिहार में यात्रा के उदाहरण लिए जा सकते हैं।

भारत जोड़ो यात्रा को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हो सकते हैं। कुछ लोग तर्क दे सकते कि भारत को पहले से ही जुड़ा हुआ है। वहीं कुछ लोग यह कह सकते हैं कि भारत को धर्म और जाति के आधार पर जोड़े जाने की आवश्यकता है। भारत जोड़ो यात्रा सफल होगी या नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी कैसा प्रदर्शन करती है।
भारत में राजनीति के भविष्य पर बोलते हुए रशीद किदवई ने कहा कि भारतीय राजनीति का भविष्य कठिन है। भारत में इंग्लैंड की वेस्ट्मिन्स्टर को अपनाया। इंग्लैंड में राजनीतिक मर्यादा का जिस तरह पालन किया जाता है वैसा भारत में देखने को नहीं मिलता। कार्यक्रम अहसास वूमन की श्रद्धा मुर्डिया, स्वाति अग्रवाल,रिद्धिमा जोशी सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे।

स्वाति अग्रवाल, डॉ फराह किदवई,रशीद किदवई और श्रद्धा मुर्डिया
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